Thursday, May 14, 2020

अभिव्यक्ति की आजादी का पैमाना तय करे केन्द्र सरकार : मानवाधिकार आयोग


आगरा। मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय आयोग नीति आयोग भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त एनजीओ के उत्तर प्रदेश प्रभारी संतोष शर्मा ने भारत सरकार से अपील करते हुए कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देश की एकता और अखंडता को खण्डित करने वाले चन्द गद्दारों पर नकेल कसने के उद्देश्य से संविधान में संशोधन कर एक सख्त कानून का निर्माण किया जाए। ताकि राष्ट्र की एकता और अखंडता को लेकर उत्पन्न होने वाले विघटनात्मक प्रभावों का समकालिक विश्लेषण करते हुए एक नियमित सीमा रेखा सुनिश्चित की जा सके। एक पत्रकार वार्ता के दौरान प्रदेश प्रभारी सन्तोष शर्मा ने जारी बयान में कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी को व्यक्ति के मौलिक मानवीय व संवैधानिक अधिकारों के संरक्षण के निमित्त मात्र ही रहने दिया जाए। उन्होंने कहा कि आज के परिदृश्य में किंचित तत्वों व इनकी संस्थाओं के द्वारा अभिव्यक्त की आजादी का दुरुपयोग करते हुए अनाप - सनाप प्रलाप किया जाता रहता है। जोकि राष्ट्रहित में किसी भी तरह उचित या प्रासंगिक नहीं है। उन्होंने कहा कि विद्यालयीय परिवेश में सिर्फ शिक्षा के विषय पर ही अभिव्यक्ति की आजादी होनी चाहिए नाकी राष्ट्र या राष्ट्र -  नायकों के विषय में असंवैधानिक धारणा को प्रचारित करना। उन्होंने कहा है कि यह एक विडम्बना है कि कुछ भारत विरोधी तत्व हमारे राष्ट्र व सामाज में कुकुरमुत्ते की तरह उपजे अनगढ़,  देशविरोधी व असंवैधानिक विचार उनमुक्त भाव से व्यक्त करते रहते हैं। और लाचार संविधान ने आज तक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर सिर्फ और सिर्फ असमर्थता ही जताई है।

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